आयकर के मोर्चे पर 2019 में मिली राहत और नए प्रावधान

फरवरी 2019 में पेश अंतरिम बजट में आयकर के तहत रिबेट की सीमा को बढ़ाकर 12500 रुपये किया गया, जिससे 5 लाख रुपये तक की टैक्सेबल आय टैक्स फ्री हो गई.
स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाकर 50000 रुपये कर दिया गया.
बैंक/डाकघरों में जमा रकम पर ब्याज से होने वाली सालाना 40000 रुपये तक की आय को टैक्स फ्री किया बनाया गया.
किराए पर TDS की सीमा बढ़कर 2.40 लाख रुपये हो गई.
दूसरे सेल्फ ऑक्यूपाइड मकान को टैक्स फ्री किया गया.
पहले के नियम के मुताबिक, दूसरे मकान में भले ही परिवार के लोग रह रहे हों यानी मकान किराए पर न दिया गया हो, फिर भी उस पर रेंट कैलकुलेशन होता था. इसी के आधार पर टैक्स कैलकुलेट होता था.
एक मकान को बेचकर मिली रकम से दो मकान खरीदने पर उन दोनों मकानों को टैक्स छूट के दायरे में लाया गया.
जुलाई में पेश फुल बजट में 45 लाख रुपये तक का मकान खरीदने के लिए मार्च 2020 तक लिए गए होम लोन के ब्याज पर टैक्स डिडक्शन की लिमिट बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये कर दी गई.
अब PAN कार्ड नहीं होने पर भी आधार के जरिए भी आयकर रिटर्न भरा जा सकता है.
अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2023 तक इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के उद्देश्य से लिए गए कर्ज के ब्याज भुगतान पर नए सेक्शन 80EEB के तहत 1.5 लाख रुपये के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन का क्लेम किए जा सकने की सुविधा दी गई.
2 करोड़ रुपये से 5 करोड़ रुपये तक की सालाना आय वालों के लिए सरचार्ज रेट बढ़ाकर 25 फीसदी किया गया, जो पहले 15 फीसदी था.
5 करोड़ रुपये से ज्यादा आय के लिए सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़कर 37 फीसदी हो गया.
वहीं 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की सालाना आय वालों के लिए सरचार्ज अभी भी 10 फीसदी और 1 करोड़ से 2 करोड़ रुपये तक के लिए 15 फीसदी है.
नए TDS प्रावधान
फुल बजट 2019 में आयकर कानून में दो नए TDS प्रावधान सेक्शन 194N और सेक्शन 194M लाए गए.
1. सेक्शन 194N के तहत किसी एक बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक या पोस्ट ऑफिस में मौजूद सभी सेविंग्स अकाउंट को मिलाकर एक वित्त वर्ष में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कैश निकासी पर 2% TDS का प्रावधान किया गया.
2. सेक्शन 194M के तहत ऐसे व्यक्ति या HUF, जो टैक्स ऑडिट के दायरे में नहीं आते हैं और न ही उन्हें सेक्शन 194C, सेक्शन 194H या सेक्शन 194J के तहत TDS डिडक्ट करने की जरूरत है,
अगर ठेकेदारों या पेशेवरों को एक साल के अंदर 50 लाख रुपये सालाना से अधिक का भुगतान करते हैं तो उन्हें इस भुगतान पर 5 फीसदी की दर से TDS काटना होगा.
TDS की राशि को व्यक्ति या HUF को अपने स्थायी खाता संख्या (PAN) के माध्यम से सरकारी खजाने में जमा कराना होगा.
TDS प्रावधानों से जुड़े कुछ अन्य बदलाव
सेक्शन 194DA:
अगर कोई व्यक्ति किसी भारतीय नागरिक को जीवन बीमा पॉलिसी के तहत राशि का भुगतान करता है तो उसे कुल अमाउंट का 5 फीसदी TDS के तौर पर काटना होगा. पहले यह टैक्स 1 फीसदी था.
सेक्शन 194IA:
इस संशोधन के तहत अब अचल संपत्ति की खरीद या अधिग्रहण के लिए किए गए भुगतान से TDS काटने के लिए कुछ अन्य चार्जों को भी कंसीडरेशन में लिया जाएगा.
इनमें संपत्ति की खरीद के साथ क्लब की सदस्यता, कार पार्किंग शुल्क, बिजली या जलापूर्ति सेवाओं का भुगतान, रख-रखाव शुल्क समेत अन्य तरह के शुल्क शामिल हैं.
सेक्शन 194LC:
अब देश से बाहर 17 सितंबर 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच जारी हुए रुपये मुद्रा वाले बॉन्ड के मामले में एक भारतीय कंपनी या बिजनेस ट्रस्ट द्वारा किसी अनिवासी या विदेशी कंपनी को अदा किया जाने वाले ब्याज को टैक्स से छूट प्राप्त है.
यानी अब इस ब्याज के भुगतान पर कोई टैक्स नहीं काटा जाएगा.
इन मामलों में भी भरना होगा ITR
एक या एक से ज्यादा चालू खातों में एक करोड़ रुपये से अधिक जमा करने, एक लाख रुपये से अधिक बिजली बिल का भुगतान करने और एक साल में अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये खर्च करने वालों के लिए भी आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य किया गया है.
विदेश में किसी व्यक्ति को दिया गया गिफ्ट
किसी भारतीय निवासी द्वारा विदेश में रहने वाले किसी व्यक्ति को पैसे के भुगतान या भारत में मौजूद किसी प्राॅपर्टी के 5 जुलाई और इसके बाद गिफ्ट (जब तक छूट न दी जाए, गिफ्ट न होने के कारण) के तौर ट्रांसफर करने पर हुई आय को भारत में हुई आय माना जाएगा.
अगर प्रॉपर्टी या पैसे देश से बाहर रहने वाले व्यक्ति को भारत में रह रहे किसी रिश्तेदार से मिले हैं या शादी में मिले हैं तो इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
कॉरपोरेट टैक्स
काॅरपोरेट टैक्स की 25 फीसदी दर का फायदा 400 करोड़ रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाली सभी कंपनियों तक किया गया.
इससे पहले 250 करोड़ रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों पर ही 25 फीसदी काॅरपोरेट टैक्स दर लागू होती थी.
यह एलान जुलाई 2019 में आए फुल बजट में किया गया.
सितंबर 2019 में घरेलू कंपनियों के लिए बेस कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी से घटकर 22 फीसदी की गई.
1 अक्टूबर 2019 के बाद अस्तित्व में आईं और 31 मार्च 2023 से पहले परिचालन शुरू करने वाली नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर 25 फीसदी से घटकर 15 फीसदी की गई.
नई टैक्स दरों का लाभ लेने वाली कंपनियों द्वारा कोई भी रिबेट या डिडक्शन क्लेम नहीं कर पाने का प्रावधान किया गया.
इसेंटिव/छूट का लाभ प्राप्त करने वाली कंपनियों के लिए मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) की दर 18.5 फीसदी से 15 फीसदी की गई.
MDR
50 करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा के कारोबार वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों/कंपनियों को ग्राहक को डिजिटल भुगतान सुविधा देने पर उनसे या उनके ग्राहकों से कोई डिजिटल भुगतान शुल्क/मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) नहीं वसूले जाने का एलान किया गया.
LTCG और शेयर बायबैक
FPI की ओर से सिक्योरिटीज (डेरिवेटिव्स समेत) की बिक्री पर लगने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स पर बढ़ा हुआ सरचार्ज हटा लिया गया.
कंपनी में शेयरों की बिक्री और इक्विटी फंड यूनिट बिक्री से कैपिटल गेन्स पर सरचार्ज प्रभावी नहीं होने का प्रावधान किया गया.
5 जुलाई 2019 से पहले शेयर बायबैक का एलान करने वाली लिस्टेड कंपनियों को बायबैक टैक्स से छूट दी गई.